माँ कालरात्रि पूजा विधि | Maa Kalaratri Puja Vidhi

माँ कालरात्रि पूजा विधि | Maa Kalaratri Puja Vidhi

🙏 आरती संग्रह 🙏




माँ कालरात्रि पूजा विधि | Maa Kalaratri Puja Vidhi

माँ कालरात्रि पूजा विधि | Maa Kalaratri Puja Vidhi

॥ नवरात्रि के सातवें दिन (माँ स्कंदमाता की पूजा विधि) ॥

माँ कालरात्रि की पूजा के लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें, फिर मां की प्रतिमा या चित्र पर गंगाजल छिड़कें. रोली, अक्षत, धूप, दीप अर्पित करें और लाल रंग के वस्त्र पहनें. मां कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं. अंत में, दुर्गा चालीसा या सप्तशती का पाठ करें और आरती उतारें.

॥ स्नान और संकल्प: ॥

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और मां कालरात्रि की पूजा का संकल्प लें.

॥ स्थापना: ॥

मंदिर या पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और मां कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.

॥ उपकरण अर्पित करें: ॥

मां को रोली, अक्षत (चावल), धूप, दीप, रातरानी का फूल और चंदन अर्पित करें.

॥ वस्त्र और रंग: ॥

मां कालरात्रि को लाल रंग अतिप्रिय है, इसलिए पूजा करते समय लाल रंग के वस्त्र पहनें और मां को लाल वस्त्र अर्पित करें.

॥ भोग लगाएं: ॥

मां कालरात्रि को गुड़ या गुड़ से बनी चीजें (जैसे गुड़ का हलवा) और फल का भोग लगाएं.

॥ पाठ और आरती ॥

दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. इसके बाद मां कालरात्रि की आरती उतारें.


॥ कुछ महत्वपूर्ण बातें ॥

माँ कालरात्रि को गुड़ बहुत पसंद है, इसलिए गुड़ से बनी चीजों का भोग जरूर लगाएं.

पूजा में गुड़हल के फूल का उपयोग करना शुभ माना जाता है.

लाल चंदन की माला से मंत्रों का जाप करना लाभकारी होता है.

मां कालरात्रि की पूजा सभी प्रकार के कष्टों और नकारात्मक शक्तियों को दूर करती है.

॥ विवरण ॥

देवी पार्वती का वह स्वरूप, जिसमें वह शुम्भ एवं निशुम्भ नामक राक्षसों का वध करने हेतु अपनी बाह्य स्वर्णिम त्वचा को हटा देती हैं, देवी कालरात्रि के नाम से जाना जाता है । कालरात्रि देवी पार्वती का सबसे उग्र तथा भयङ्कर रूप है । मान्यताओं के अनुसार, देवी कालरात्रि शनि ग्रह को शासित करती हैं । देवी कालरात्रि घोर श्याम वर्ण की हैं तथा वह गधे पर आरूढ़ रहती हैं । देवी माँ को चतुर्भुज रूप में दर्शाया गया है। उनके दाहिने हाथ अभय एवं वरद मुद्रा में हैं तथा वह अपने बायें हाथों में तलवार एवं लोह का घातक अँकुश धारण करती हैं । यद्यपि, देवी कालरात्रि देवी पार्वती का सबसे उग्र रूप हैं, किन्तु वह अपने भक्तों को अभय एवं वरद मुद्रा द्वारा आशीर्वाद प्रदान करती हैं । उग्र रूप में विद्यमान अपनी शुभ अथवा मङ्गलदायक शक्ति के कारण देवी कालरात्रि को देवी शुभंकरी के नाम से भी जाना जाता है । देवी कालरात्रि को देवी महायोगीश्वरी एवं देवी महायोगिनी के रूप में भी जाना जाता है।

॥ प्रिय पुष्प ॥

रात की रानी ॥

॥ मन्त्र ॥

ॐ देवी कालरात्र्यै नमः ॥

॥ प्रार्थना ॥

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता ।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी ॥

वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा ।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी ॥

॥ स्तुति ॥

या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥

॥ ध्यानम् ॥

करालवन्दना घोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम् ।
कालरात्रिम् करालिंका दिव्याम् विद्युतमाला विभूषिताम् ॥

दिव्यम् लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम् ।
अभयम् वरदाम् चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम् ॥

महामेघ प्रभाम् श्यामाम् तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा ।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम् ॥

सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम् ।
एवम् सचियन्तयेत् कालरात्रिम् सर्वकाम् समृध्दिदाम् ॥

॥ स्तोत्रम् ॥

हीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती ।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता ॥

कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी ।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी ॥

क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी ।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा ॥

॥ कवचम् ॥

ॐ क्लीं मे हृदयम् पातु पादौ श्रीकालरात्रि ।
ललाटे सततम् पातु तुष्टग्रह निवारिणी ॥

रसनाम् पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम ।
कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशङ्करभामिनी ॥

वर्जितानी तु स्थानाभि यानि च कवचेन हि ।
तानि सर्वाणि मे देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥

॥ आरती ॥

कालरात्रि जय जय महाकाली । काल के मुँह से बचाने वाली ॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा । महाचण्डी तेरा अवतारा ॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा । महाकाली है तेरा पसारा ॥
खड्ग खप्पर रखने वाली । दुष्टों का लहू चखने वाली ॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा । सब जगह देखूँ तेरा नजारा ॥
सभी देवता सब नर-नारी । गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥

रक्तदन्ता और अन्नपूर्णा । कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥
ना कोई चिन्ता रहे ना बीमारी । ना कोई गम ना संकट भारी ॥

उस पर कभी कष्ट ना आवे । महाकाली माँ जिसे बचावे ॥
तू भी भक्त प्रेम से कह । कालरात्रि माँ तेरी जय ॥

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