माँ शैलपुत्री पूजा विधि | Maa Shailaputri Puja Vidhi

माँ शैलपुत्री पूजा विधि | Maa Shailaputri Puja Vidhi

🙏 आरती संग्रह 🙏




माँ शैलपुत्री पूजा विधि | Maa Shailaputri Puja Vidhi

माँ शैलपुत्री पूजा विधि | Maa Shailaputri Puja Vidhi

॥ नवरात्रि का पहला दिन (मां शैलपुत्री) ॥

नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इन्हें गाय के घी से बने व्यंजन अर्पित करना शुभ माना जाता है। आप मां को शुद्ध घी, घी और चीनी से बनी पंजीरी या ऋतु फल अर्पित कर सकते हैं।

॥ स्नान और वस्त्र धारण: ॥

ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें.

॥ गणेश पूजन: ॥

सबसे पहले गणेश भगवान का आह्वान करें.

॥ माता का आह्वान: ॥

लाल फूल लेकर माता शैलपुत्री का आह्वान करें.

॥ सामग्री अर्पण: ॥

माता को अक्षत, सिंदूर, धूप, गंध और पुष्प अर्पित करें.

॥ दीप प्रज्ज्वलन: ॥

घी का दीपक जलाएं और शंख-घंटी बजाएं.

॥ मंत्र जप: ॥

मंत्रों का जाप करें.

॥ भोग: ॥

गाय के दूध से बनी वस्तुओं का भोग अर्पित करें.

॥ आरती ॥

माता की आरती करें.

॥ प्रसाद वितरण:

भोग को कुंवारी कन्याओं में प्रसाद के रूप में बांट दें.

॥ विवरण ॥

देवी सती के रूप में आत्मदाह करने के उपरान्त, देवी पार्वती ने पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। संस्कृत में शैल का अर्थ पर्वत होता है, जिसके कारण देवी को पर्वत की पुत्री, अर्थात शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है । आदि शक्ति के इस शैलपुत्री रूप की पूजा करने से चन्द्र ग्रह से सम्बन्धित समस्त नकारात्मक प्रभावों से रक्षा की जा सकती है । देवी शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शिव के साथ हुआ था ।

॥ प्रिय पुष्प ॥

चमेली ॥

॥ मन्त्र ॥

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः ॥


॥ बीज मंत्र ॥

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः ॥


॥ पुराणिक मंत्र ॥

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरम् ।

वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥

॥ प्रार्थना ॥

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् ।

वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥

॥ स्तुति ॥

या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥

॥ ध्यानम् ॥

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् ।

वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥


पूणेन्दु निभाम् गौरी मूलाधार स्थिताम् प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम् ।

पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता ॥


प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम् ।

कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम् ॥

॥ स्तोत्रम् ॥

प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागरः तारणीम् ।

धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम् ॥


त्रिलोजननी त्वंहि परमानन्द प्रदीयमान् ।

सौभाग्यरोग्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम् ॥


चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह विनाशिनीं ।

मुक्ति भुक्ति दायिनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम् ॥

॥ कवचम् ॥

ॐकारः में शिरः पातु मूलाधार निवासिनी ।

हींकारः पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी ॥


श्रींकार पातु वदने लावण्या महेश्वरी ।

हुंकार पातु हृदयम् तारिणी शक्ति स्वघृत ।

फट्कार पातु सर्वाङ्गे सर्व सिद्धि फलप्रदा ॥

॥ आरती ॥

शैलपुत्री माँ बैल असवार । करें देवता जय जय कार ॥

शिव-शंकर की प्रिय भवानी । तेरी महिमा किसी ने न जानी ॥


पार्वती तू उमा कहलावें । जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें ॥

रिद्धि सिद्धि प्रदान करे तू । दया करें धनवान करें तू ॥


सोमवार को शिव संग प्यारी । आरती जिसने तेरी उतारी ॥

उसकी सगरी आस पुजा दो । सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो ॥


घी का सुन्दर दीप जला के । गोला गरी का भोग लगा के ॥

श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें । प्रेम सहित फिर शीश झुकायें ॥


जय गिरराज किशोरी अम्बे । शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे ॥

मनोकामना पूर्ण कर दो । चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो ॥

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