🙏 आरती संग्रह 🙏
माँ सिद्धिदात्री पूजा विधि | Maa Siddhidatri Puja Vidhi

॥ नवरात्रि के नौवें दिन (माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि) ॥
देवी सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्रि के नौवें दिन की जाती है, जबकि चंद्रघंटा की पूजा तीसरे दिन की जाती है । दोनों की पूजा विधि में स्नान, स्वच्छ वस्त्र धारण करना, कलश स्थापना (यदि पहले नहीं की गई है), देवी को सिंदूर, अक्षत, पुष्प, फल और दूध से बने भोग लगाना, मंत्र जाप, और दुर्गा चालीसा व आरती पढ़ना शामिल है ।
॥ स्नानादि और वस्त्र: ॥
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें.
॥ आसन और संकल्प: ॥
पूजा के लिए आसन पर बैठें और पूजन का संकल्प लें.
॥ प्रतिमा स्थापना: ॥
देवी सिद्धिदात्री की प्रतिमा या फोटो चौकी पर स्थापित करें.
॥ शुद्धिकरण: ॥
प्रतिमा या चित्र को गंगाजल से शुद्ध करें.
॥ कलश स्थापना: ॥
यदि नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना नहीं हुई है, तो इस दिन देवी की चौकी पर कलश स्थापित करें ।
॥ पूजा सामग्री: ॥
देवी को अक्षत, लाल चंदन, चुनरी, लाल पीले फूल अर्पित करें.
॥ धूप-दीप: ॥
देवी को धूप और दीप दिखाएं.
॥ ध्यान और भोग: ॥
मां सिद्धिदात्री का ध्यान करें और उन्हें लाल या गुलाबी फूल, अक्षत, रोली, चंदन, और धूप-दीप अर्पित करें ।
॥ नारियल और मिठाई: ॥
पूजा के अंत में नारियल और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं ।
॥ मंत्र जाप और पाठ: ॥
दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और मां के मंत्रों का जाप करें ।
॥ प्रसाद वितरण: ॥
प्रसाद को परिवार के सदस्यों और कन्याओं में बांटें ।
॥ सामान्य सुझाव ॥
मां चंद्रघंटा की पूजा में पीले रंग के फूलों और वस्त्रों का प्रयोग करें ।
माँ चंद्रघंटा को खुश करने के लिए उन्हें दूध और खीर का भोग लगाएं, और शहद अर्पित करना भी शुभ माना जाता है ।
मां को प्रसन्न करने और सुख-शांति के लिए पूजा के बाद परिवार के सदस्यों में प्रसाद बांटें ।
॥ विवरण ॥
सृष्टि के आरम्भ में भगवान रुद्र ने सृजन के उद्देश्य से आदि-पराशक्ति की आराधना की थी । मान्यताओं के अनुसार, देवी आदि-पराशक्ति का कोई निश्चित रूप अथवा आकर नहीं था । आदि-पराशक्ति, जो शक्ति की सर्वोच्च देवी हैं, भगवान शिव के वाम अङ्ग से सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट हुयी हैं । मान्यताओं के अनुसार, देवी सिद्धिदात्री केतु ग्रह को दिशा एवं ऊर्जा प्रदान करती हैं । अतः केतु ग्रह देवी सिद्धिदात्री द्वारा शासित होता है । देवी सिद्धिदात्री कमल पुष्प पर विराजमान हैं तथा वह सिंह की सवारी करती हैं । देवी माँ को चतुर्भुज रूप में दर्शाया गया है । उनके एक दाहिने हाथ में गदा, दूसरे दाहिने हाथ में चक्र, एक बायें हाथ में कमल पुष्प तथा दूसरे बायें हाथ में शंख सुशोभित है । माता सिद्धिदात्री अपने भक्तों को समस्त प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करती हैं । भगवान शिव को भी देवी सिद्धिदात्री की कृपा से ही सभी सिद्धियाँ प्राप्त हुयी थीं । उनकी पूजा मात्र मनुष्य ही नहीं अपितु देव, गन्धर्व, असुर, यक्ष एवं सिद्ध भी करते हैं। भगवान भोलेनाथ के वाम अँग से देवी सिद्धिदात्री के प्रकट होने के पश्चात् ही भगवान शिव को अर्ध-नारीश्वर की उपाधि प्राप्त हुयी थी ।
॥ प्रिय पुष्प ॥
रात की रानी
॥ मन्त्र ॥
ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥
॥ प्रार्थना ॥
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि ।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी ॥
॥ स्तुति ॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥
॥ ध्यानम् ॥
वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम् ।
कमलस्थिताम् चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्विनीम् ॥
स्वर्णवर्णा निर्वाणचक्र स्थिताम् नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम् ।
शङ्ख, चक्र, गदा, पद्मधरां सिद्धीदात्री भजेम् ॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम् ।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि रत्नकुण्डल मण्डिताम् ॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन पयोधराम् ।
कमनीयां लावण्यां श्रीणकटिं निम्ननाभि नितम्बनीम् ॥
॥ स्तोत्रम् ॥
कञ्चनाभा शङ्खचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो ।
स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते ॥
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम् ।
नलिस्थिताम् नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोऽस्तुते ॥
परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा ।
परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते ॥
विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता ।
विश्व वार्चिता, विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते ॥
भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी ।
भवसागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते ॥
धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनीं ।
मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
॥ कवचम् ॥
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, ऐं बीजम् माँ हृदयो ।
हीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो ॥
ललाट कर्णो श्रीं बीजम् पातु क्लीं बीजम् माँ नेत्रम् घ्राणो ।
कपोल चिबुको हसौ पातु जगत्प्रसूत्यै माँ सर्ववदनो॥
॥ आरती ॥
जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता। तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता ॥
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि। तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि ॥
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम। जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम ॥
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है। तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है ॥
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो। तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो ॥
तू सब काज उसके करती है पूरे। कभी काम उसके रहे ना अधूरे ॥
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया। रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया ॥
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली। जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली ॥
हिमाचल है पर्वत जहाँ वास तेरा। महा नन्दा मन्दिर में है वास तेरा ॥
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता। भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥
🔊 विकल्प 1: Voice Prompts 🔊
Note: This voice prompts is dependent on your system or Mobile if voice prompts not running so please voice prompts enable on your Divice settings. here Text alignment and Text positio is change if play voice prompts.